मैं ‘टास्क मास्टर’ हूं। यह कथन हमारे देश
के प्रधानमंत्री का है। एक सवाल के जबाब में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बच्चों
को कहा। युवा दिलों पर राज कर प्रधानमंत्री की गद्दी तक पहुंचने वाले नरेन्द्र
मोदी शिक्षक दिवस पर भारत के हजारों स्कूली बच्चों से रुबरु हुए। स्कूली बच्चों ने भी
काफी उत्सुकता दिखाई। बच्चें नई तकनीक के जरिये वीडियो कांफ्रेंसिंग से तो कहीं
रेडियो से मोदी के संवादों से जुड़े।
स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली
बार कोई प्रधानमंत्री स्कूली बच्चों को शिक्षक दिवस पर नैतिकता का पाठ पढ़ाया।
पहले तो मोदी ने बच्चों के साथ बचपन के बारे में बातें की फिर मोदी और बच्चों के
बीच सवाल-जवाब हुआ साथ ही मोदी ने नैतिकता का पाठ भी पढ़ाया। मोदी
ने स्कूली शिक्षकों को भी उनके कर्तव्यों के बारे में बताया। बच्चों ने अनेकों
सवाल मोदी से पूछे , एक सवाल के जबाब में मोदी ने कहा कि वह हेडमास्टर नहीं बल्कि
हार्ड टास्क मास्टर हैं। वह खुद काम करतें है साथ ही दूसरों से भी जम कर काम करवाते
हैं।
मोदी के इस कार्यक्रम पर राजनीतिक विवाद भी हुआ। मोदी समर्थकों का कहना है
कि इस प्रकार के कार्यक्रम से छात्रों को प्रेरणा मिलती हैं। तो वहीं मोदी के
आलोचकों का कहना है कि इस प्रकार के कार्यक्रम मे जबरदस्ती छात्रों को जोड़ा गया,
मोदी जी अपना प्रचार कर रहें हैं। अगर हम राजनीतिक विवादों को छोड़ दें तो मेरा
मानना है कि यह एक अच्छी पहल है। इससे बच्चों में एक नई उमंग एवं जोश उत्पन्न होता
है।
खैर, प्रधानमंत्री ही क्यों? समाज का हर पढ़ा लिखा
व्यक्ति बच्चों की क्लास ले सकता है। जब प्रधानमंत्री जैसे व्यस्त व्यक्ति ऐसा कर
सकतें हैं, तो हम आप क्यों नही? लगभग हर समाज में वकील, डॉक्टर, इंजीनियर जैसे
प्रोफेशनल रहते हैं यदि ये लोग चाहें तो कभी-कभी बच्चों का क्लास भी ले सकते है
तथा नैतिकता का पाठ भी पढ़ा सकते हैं। लेकिन हमलोग यह जिम्मेवारी सिर्फ शिक्षकों
पर ही छोड़ते हैं।
शिक्षक दिवस में हम बच्चों को सिर्फ यह बताते हैं कि यह दिन शिक्षकों के
लिए मनाया जाता है, शिक्षक का मतलब वैसे शिक्षक जो सिर्फ स्कूलों या कॉलेजों में
पढ़ाते हैं। लेकिन हम उन्हें यह नहीं बताते कि शिक्षक मार्गदर्शन करने वाले तथा
हमें नैतिकता का बोध कराने वाले भी हो सकते हैं। जैसे हमारे माँ-बाप, बड़े
बुजुर्ग, तथा अच्छे प्रोफेशनल ।
बच्चों के बेहतर भविष्य के लिये सिर्फ स्कूली शिक्षा ही नहीं बल्कि मानवीय
शिक्षा पर भी जोड़ देना जरूरी है। जिसप्रकार प्रधानमंत्री ने बच्चों से सीधे
जुड़ने कि एक नई कोशिश की उसी प्रकार हमें भी कार्य करने चाहिए ताकि स्कूली छात्र
सीधे तौर पर प्रोफेशनलों से जुड़ें। इससे बच्चों को न केवल अच्छी
नसीहतें मिलेगी बल्कि कौशल क्षमता का भी विकास होगा तथा बच्चों के अन्दर पनप रही
भविष्य और करियर की कुछ बुनयादी प्रश्न समाप्त हो जाएगें, जैसे- मोदी से सवाल जबाब
के दौरान एक बच्चे ने पूछा कि “सर प्रधानमंत्री बनने के
लिए क्या करना होता है ?“
जरा सोचिये समाज के उस कमजोर वर्ग के बारे में जो अपना पेट काट कर अपने
बच्चों को पढ़ा रहें हैं, या फिर उस बच्चों के बारे में जो प्राथमिक शिक्षा के बाद
पढ़ाई छोड़ देते या सही दिशा निर्देश के अभाव में अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर
पातें। इसलिए मेरा मानना है कि शिक्षा का मतलब सिर्फ शैक्षणिक जगहों पर मिलने वाली
डिग्री से ही नहीं अपितु सही दिशा निर्देश और नैतिक ज्ञान से भी होना चाहिए ।
नरेन्द्र मोदी और बच्चों के बीच के संवाद का वीडियो देखें--
No comments:
Post a Comment