Wednesday, July 26, 2017

''इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उभरता हुआ करियर बदलते जमाने की है मांग।''...

तेजी से आगे बढ़ रही इस जमाने में हर युवा कुछ ऐसा करना चाहता है जिससे उसे कामयाबी तो मिले ही साथ ही साथ वो समाज के सामनें एक अलग पहचान हासिल कर सके, और इसे आसानी से प्राप्त करने के लिए एक अच्छा विक्ल्प हैं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया। 

Wednesday, February 25, 2015

कम्युनिटी कॉलेज – कॉलेज से कंपनी तक ।



शिक्षा समाज के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। शिक्षा से ही हम बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकतें हैं। शिक्षा रोजगार का पर्याय बनता जा रहा है। आजकल हर छात्र शिक्षा या डिग्री प्राप्त कर जल्द से जल्द रोजगार पाना चाहतें हैं। वर्तमान में रोजगारोन्मुख शिक्षा की मांग तेजी से बढ़ रही है। सरकार भी रोजगारोन्मुख शिक्षा देने हेतु राज्य में कम्युनिटी कॉलेज खोल रही है।

Wednesday, September 10, 2014

“खिचड़ी, चोखा और छिपकली”

खिचड़ी, चोखा और साथ में छिपकली। यह न ही कोई मेनू है और न ही कोई भोजन का प्रकार। यह एक घटना है जो मध्याह्न भोजन के अंतर्गत बच्चों को परोसा गया।
अगर हम ताजा घटना पर नजर डालें तो बिहार के सीतामढ़ी जिला के एक मिडिल स्कूल में मिड डे मील योजना के दौरान एक बच्चे की थाली में खिचड़ी, चोखा और छिपकली मिली। इससे बच्चा डर गया और अपने प्राचार्य को बताया, स्कूल के प्राचार्य ने उसकी थाली के खाने को फेंकवा दिया, लेकिन वह यह नहीं समझ सका कि छिपकली उसकी थाली में मिली है या पूरा खाना ही जहरीला हो गया है। इसका परिणाम यह हुआ कि जहरीला खाना खाकर 124 बच्चे अस्वस्थ और बेहोश हो गये। जिसे नजदीकी स्वास्थ केन्द्र में भर्ती कराया गया।

Tuesday, September 9, 2014

मैं “टास्कमास्टर” हूं...

मैं टास्क मास्टर हूं। यह कथन हमारे देश के प्रधानमंत्री का है। एक सवाल के जबाब में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बच्चों को कहा। युवा दिलों पर राज कर प्रधानमंत्री की गद्दी तक पहुंचने वाले नरेन्द्र मोदी शिक्षक दिवस पर भारत के हजारों स्कूली बच्चों से रुबरु हुए। स्कूली बच्चों ने भी काफी उत्सुकता दिखाई। बच्चें नई तकनीक के जरिये वीडियो कांफ्रेंसिंग से तो कहीं रेडियो से मोदी के संवादों से जुड़े।

Thursday, August 28, 2014

रैगिंग- एक दरिंदगी

रैगिंग पर लगाम लगाने के लिए सरकार और कानून पूरी तरह से सख्त है फिर भी रैगिंग थमने का नाम नही लेती, लिहाजा इसका शिकार मासूम और निर्दोष छात्र होते हैं।
रैगिंग की शुरुआत कब हुई या कैसे हुई इसका जिक्र इतिहास के पन्नों मे भी नहीं है। देखा जाए तो रैगिंग सीनियर छात्रों द्वारा अपने जूनियर छात्रों से या संस्थान परिसर में आये नये छात्रों से परिचय लेने का तरीका है। रैगिंग सीनियर छात्र
इसलिए लेते हैं ताकि